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Showing posts from June, 2014

कान के दर्द से बचने के कुछ घरेलु उपाय !

गर्मियों में कान के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में संक्रमण होना आम बात है| अधिकतर तैराकों को ख़ास-तौर पर इस परेशानी का सामना करना पड़ता है | कान में फुंसी निकलने,पानी भरने या किसी प्रकार की चोट लगने की वजह से द र्द होने लगता है | कान में दर्द होने के कारण रोगी हर समय तड़पता रहता है तथा ठीक से सो भी नहीं पाता| बच्चों के लिए कान का दर्द अधिक पीड़ा भरा होता है | लगातार जुक़ाम रहने से भी कान का दर्द हो जाता है | आज हम आपको कान के दर्द के लिए कुछ घरेलू उपचार बताएंगे - १- तुलसी के पत्तों का रस निकाल लें| कान में दर्द या मवाद होने पर रस को गर्म करके कुछ दिन तक लगातार डालने से आराम मिलता है |

दांतों में कीड़े लगना -

यह एक आम समस्या है,खासतौर पर बच्चों में यह कष्ट अधिक देखने को मिलता है | दांतों की नियमित सफाई न करने से दांतों के बीच में अन्न कण फंसे रहते हैं और इन्ही अन्न कणों के सड़ने की वजह से दांतों में कीड़े लग जाते हैं जिससे दांतों की जड़ें कमजोर हो जाती हैं | इसी कारण दांत खोखले हो जाते हैं,मसूड़े ढीले पड़ जाते हैं तथा दांत टूटकर गिरने लगते हैं | दांतों की नियमित सफाई करके इस समस्या से बचा जा सकता है | इस रोग में दांतों में तेज़  दर्द होता है और मसूड़े सूज जाते हैं | दांतों में कीड़े लगने पर कुछ घरेलू उपचारों द्वारा आराम पाया जा सकता है - १- दालचीनी का तेल रूई में भरकर पीड़ायुक्त दांत के गढ्ढे में रखकर दबा लें | इससे दांत के कीड़े नष्ट होते हैं और दर्द में शांति मिलती है |

हींग (ASAFOETIDA) के उपयोग..

हींग का उपयोग आमतौर पर दाल-सब्जी में छौंक लगाने के लिए किया जाता है इसलिए इसे 'बघारनी 'के नाम से भी जाना जाता है । यह भारत के उत्तर पश्चिमी राज्यों से कश्मीर एवं पंजाब में पायी जाती है | हींग आहार में रूचि उत्पन्न करके अग्नि को प्रदीप्त करती है | हींग फेरूला फोइटिस नामक पौधे का चिकना रस है | इसके पौधे के पत्तों और छाल में हलकी चोट देने से दूध निकलता है और वही दूध पेड़ पर सूख कर गोंद बन ता है,उसे निकालकर सुखा लिया जाता है,जिसे बाद में हींग के नाम से जाना जाता है | हींग एक गुणकारी औषधि है | यह हलकी,गर्म और पाचक है | आईये जानते हैं हींग के औषधीय गुणों के विषय में - १- हींग को पानी में पीसकर पेट पर (नाभी के आसपास) लेप करने से उलटी बंद हो जाती है और पेट दर्द में भी आराम मिलता है |

चावल के उपयोग..

यह मूलतः भारत एवं चीन में पाया जाता है | इसकी विश्व के सभी उष्ण कटिबंधीय एवं उप उष्णकटिबंधीय देशों में कृषि होती है | चावल के शीतल एवं शक्तिवर्धक होने की वजह से इसका प्रयोग प्राचीन काल से भोज्य के रूप में किया जा रहा है । आयुर्वेद की संहिताओं में चावल के कई भेदों का उल्लेख प्राप्त होता है | धान को ओखली में या मशीनों द्वारा पीसकर उसके ऊपर के छिलकों को अलग किया जाता है | बिना छिलकों के धान के दानों को चावल कहा जाता है | यह मुख्यतः बारिश के मौसम की फसल है | आयुर् वेद के अनुसार केवल ६० दिनों में तैयार होने वाले साठी चावल अधिक गुणकारी माने जाते हैं | कारखाने में पॉलिश किये गए चावलों की अपेक्षा हाथकूट के चावल उत्तम होते हैं | आईये जानतें हैं चावल के कुछ औषधीय गुण - १- चावलों में चर्बी का तत्त्व बहुत कम होने से ये पचने में अतिशय लघु और हलके होते हैं | चावल के साथ दाल मिलाने से उसका वायुकारक गुण कम हो जाता है | अतः रोगियों के लिए चावल और मूंग की दाल की खिचड़ी पचने में हलकी और पौष्टिक मानी जाती है |

मसूड़ों की सूजन (GINGIVITIS)

मसूड़ों पर चोट लगने या अधिक गर्म पदार्थ व सख्त चीज़ें खाने से मसूड़ों पर दबाव पड़ता है,जिससे मसूड़ों में सूजन उत्पन्न हो जाती है | सूजन होने से मसूड़े ढीले पड़ जातें हैं जिससे दांतों का नुकसान होता है | इसका इलाज न होने पर दांत हिलकर गिरने लगते हैं | आज हम आपको मसूड़ों की सूजन के लिए कुछ सरल उपचार बताएंगे - १- भुनी फिटकरी,सेंधा नमक,काली मिर्च तथा हरड़ का छिलका इन सबको १०-१० ग्राम की मात्रा में लें | इन्हें अच्छी तरह कूट कर  छान लें | प्रतिदिन सुबह-शाम इस मंजन को मसूड़ों पर मलने से मसूड़ों का ढीलापन,सूजन व दर्द ख़त्म हो जाता है | २- सौंठ को पीसकर चूर्ण बना लें | इस ३ ग्राम चूर्ण को पानी के साथ प्रतिदिन सुबह-शाम खाने से मसूड़ों की सूजन में लाभ होता है |

कढ़ी पत्ता या मीठी नीम के फायदे...

अक्सर हम भोजन में से कढ़ी पत्ता निकाल कर अलग कर देते है | इससे हमें उसकी खुशबु तो मिलती है पर उसके गुणों का लाभ नहीं मिल पाता |कढ़ी पत्ते को धो कर छाया में सुखा कर उसका पावडर इस्तेमाल करने से बच्चे और बड़े भी भी इसे आसानी से खा लेते है ,इस पावडर को हम छाछ और निम्बू पानी में भी मिला सकते है | इसे हम मसालों में , भेल में भी डाल सकते है | इसकी छाल भी औषधि है | हमें अपने घरों में इसका पौधा लगाना चाहिए |  - कढ़ी पत्ता पाचन के लिए अच्छा होता है ,यह डायरिया ,  डिसेंट्री,पाइल्स , मन्दाग्नि में लाभकारी होता है | यह मृदु रेचक होता है |